4 फरवरी को दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने अपने जीवन का नौवां वसंत देखा। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्र मार्क जुकरबर्ग ने 4 फरवरी, 2004 को फेसबुक की शुरूआत फेसमैश के नाम से की थी। शुरू में यह हार्वर्ड के छात्रों के लिए ही अंतरजाल का काम कर रही थी, लेकिन शीघ्र ही लोकप्रियता मिलने के साथ इसका विस्तार पूरे यूरोप में हो गया। सन 2005 में इसका नाम परिवर्तित कर फेसबुक कर दिया गया। दुनिया भर में 2.5 अरब उपयोगकर्ताओं वाली फेसबुक में भी वक्त के साथ कई आयाम जुड़ते चले गए। सन 2005 में फेसबुक ने अपने उपयोगकर्ताओं को नई सौगात दी, जब उसने उन्हें फोटो अपलोड करने की भी सुविधा प्रदान की।
फेसबुक के सफर का यह सबसे महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी कदम था, जिसने वर्चुअल दुनिया को नए आयाम देने का काम किया। फोटो अपलोड करने की सुविधा इस लिए क्रांतिकारी कदम थी, क्योंकि फोटो के माध्यम से विचारों की अभिव्यक्ति को जीवंतता मिली। बदलते वक्त और बदलते समाज का आईना बनी फेसबुक से देखते ही देखते नौ वर्षों में अरबों लोग जुड़े। सन 2006 के सितंबर माह में फेसबुक ने 13 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को फेसबुक से जुड़ने की स्वतंत्रता प्रदान की। इससे इसका दायरा और भी व्यापक हुआ। प्रारंभ में फेसबुक का उपयोग सोशल नेटवर्क स्थापित करने और नए लोगों से जुड़ने के लिए ही होता रहा। लेकिन वक्त की तेजी के साथ ही फेसबुक को भी नए आयाम मिले। संगठित मीडिया की चुनी हुई और प्रायोजित खबरों की घुटन से निकलने के लिए भी सामाजिक तौर पर सक्रिय लोगों ने फेसबुक का प्रयोग किया। दिसंबर 2010 में विश्व ने अरब में क्रांति का अदभुत दौर देखा, अद्भुत इसलिए कि अरब के जिन देशों में कई दशकों से तानाशाही शासन चल रहा था, वहां लोगों ने सड़कों पर उतरकर मुखर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन ही नहीं तानाशाहियों को सत्ता से खदेड़ने का काम किया। समस्त विश्व उस समय हतप्रभ रह गया कि यह कैसे हुआ ?
जिस अरब में आम लोग सरकार की नीतियों की आलोचना करने से भी डरते थे, वहां सत्ता विरोधी ज्वार अचानक कैसे आया। इसका उत्तर केवल यही था, सोशल मीडिया के कारण। ट्यूनीसिया, मिस्र, यमन, लीबिया, सीरिया, बहरीन, सउदी अरब, कुवैत, जार्डन, सूडान जैसे पूर्व मध्य एशिया और अरब के देशों ने क्रांति की नई सुबह को देखा। इसका कारण यही था कि वहां के सत्ता प्रतिष्ठानों द्वारा संचार माध्यमों पर लागू लौह परदा के सिद्धांत का विकल्प लोगों को सोशल मीडिया के रूप में मिल गया। सरकारी मीडिया आमजन की जिस आवाज और गुस्से को मुखरित होने से रोक देता था, सोशल मीडिया ने उसका विकल्प और जवाब आम जन के सामने रखा।
सरकारी बंदिशों, संपादकीय नीति और समाचार माध्यमों पर बने बाजारू दबावों से मुक्त सोशल मीडिया ने आमजन की आवाज को मंच प्रदान कर मुखरित करने का कार्य किया। सोशल मीडिया द्वारा उभरी इस क्रांति का सबसे लोकप्रिय वाहक बना फेसबुक। एक समय पर अनेकों लोगों के संवाद करने की सुविधा, विचारों को आदान-प्रदान करने का मंच, जिसमें शब्दों की सीमा में बंधे बिना अपने विचारों को अभिव्यक्त किया जा सकता है। फेसबुक की इसी विशेषता ने आमजन के बीच चल रहे विचारों के प्रवाह को दिशा प्रदान की। अपनी व्यस्त जिंदगी में लोगों ने फेसबुक के माध्यम से अपने विचारों को एक-दूसरे को सहज ढंग से पहुंचाया और राजनीतिक-सामाजिक समस्याओं के प्रति जनांदोलनों की नींव रखी जाने लगी। सोशल मीडिया जनित यह आंदोलन अरब देशों तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि अमरीका के वाल स्ट्रीट होते हुए, यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के जंतर-मंतर तक पहुंच गए। अमरीका में वाल स्ट्रीट घेरो आंदोलन हुआ, जिसमें अमीर देश का तमगा धारण किए अमरीका के नागरिकों ने आंदोलन किया और देश के संसाधनों का 1 प्रतिशत लोगों के हाथों में सिमटना चिंताजनक बताया। अमरीका में हुए इस आंदोलन ने दुनिया भर का ध्यान खींचा। इस आंदोलन ने बताया कि दुनिया का शीर्ष देश कहलाने वाले अमरीका में भी किस पर गैरबराबरी व्याप्त है। आंदोलनों की इस बयार से भारत भी अछूता नहीं रहा और यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार और नीतिगत असफलताओं को लेकर जंतर-मंतर से सड़कों तक सत्ता विरोधी आंदोलन के स्वर मुखरित हुए। यह आंदोलन सोशल मीडिया और उसके प्रमुख घटक फेसबुक की ही देन थे।
फेसबुक के नौवें जन्मदिन से कुछ दिन पूर्व ही एक आंदोलन और हुआ। दिल्ली में हुए गैंगरेप के विरोध में आंदोलन। यह आंदोलन तो पूरी तरह उसी जमात का था, जिसे फेसबुकिया या सोशल मीडिया के क्रांतिकारी कहा जाता रहा है। यह कहना ठीक ही होगा कि अपने नौंवा वर्षों के संक्षिप्त समय में फेसबुक ने नई उंचाईयों को छुआ है और मुख्यधारा की मीडिया से अलग भी वैयक्तिक राय की स्वतंत्रता प्रदान करते हुए विभिन्न आंदोलनों को मूर्त रूप दिया है। उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में भी फेसबुक नए पायदान चढ़ता जाएगा और वर्चुअल दुनिया की यह क्रांतिकारी बुक आने वाले वक्त में भी आमजन की आवाज को मुखरता प्रदान करती रहेगी।
https://www.facebook.com/kolahalsedoor/posts/941495869206157
ReplyDelete