युवा भारत आगे कैसे बढे |
भारत एक युवा राष्ट्र है. यहाँ की ७० प्रतिशत आबादी युवा है . इतनी भारी-भरकम युवा आबादी के देश भारत में सबसे अधिक उत्पादक क्षमता मौजूद है . हमारे पास उत्पादन की क्षमता तो मौजूद है पर उसके लिए पर्याप्त अवसर नहीं हैं . जहाँ अवसर हैं भी सीमित हैं और कई जगह हमारे युवाओं में वह कुशलता नहीं है की अपनी जगह वह बना सकें . जहाँ ४१७ सफाई कर्मचारियों की आवश्यकता है, वहां ४२००० लोग आवेदन करतें हैं. जिनमें से कई तो परास्नातक डिग्री धारक हैं. जिस जगह ४०० जवानों की भर्ती है, वहां ३ लाख युवाओं का हुजूम उमड़ता है. उनको अपेक्षित रोजगार तो नहीं मिलता है, लेकिन कइओं को मौत की सौगात अवश्य मिल जाती है. जिस देश में रोजगार की स्थिति यह है, वहां के नीति-निर्माता घोटालों का ठेका लेने लगे हैं. अब इन घोटालों के ठेकेदारों और सरदारों के इस देश में युवाओं को दिशा क्या और कैसे मिले. क्या युवा भी भ्रष्ट और आचारहीन लोगों को अपना आदर्श मानकर आगे बढें. यदि ऐसी स्थिति हो गई तो, हमारे देश की स्थिति क्या होगी हम सोच भी नहीं सकते हैं. यदि हम अपने ढांचें में आमूल-चूल परिवर्तन करें. युवाओं को कुशल श्रमिक एवं अधिकारी बनाने के लिए बजट बढाएं और उन्हें उचित प्रशिक्षण दें. तभी यह संभव है की उन्हें उनका अपेक्षित रोजगार मिल सके. उनको प्रशिक्षित करना जितना आवश्यक है, उससे कहीं अधिक आवश्यक है रोजगार के अवसरों का सृजन करना. तब हम उनको सही अवसर दे पाएंगे और उनकी क्षमताओं होकर देश को नै गति मिल पायेगी. यहाँ युवाओं का कोई लक्ष्य नहीं है, लक्ष्य तो अवसर नहीं है, तो वे अपना योगदान कैसे दे पाएंगे. यदि इसी तरह चलता रहा तो हमारा यह युवा भारत एक दिन बुजुर्ग भारत हो जायेगा. और समय हमारे हाथ से मुट्ठी की तरह फिसल जायेगा. जब युवाओं को हम एक लक्ष्य देंगें तो देश की समस्त समस्याएं अपने आप समाप्त हो जायेंगी. इस युवा भारत का भविष्य युवाओं के ही हाथों में है और वे देश की दशा और दिशा को तय करेंगे. इसलिए यह आवश्यक है की हम उन्हें मनरेगा जैसी योजनायें नहीं बल्कि उचित अवसर देकर मुख्यधारा में लाने का प्रयास करें. जिससे वे स्वयं को और देश के विकास को गति दे सकें. यही भारत की असली तस्वीर और बढती विकास दर का आईना होगा.
भारत एक युवा राष्ट्र है. यहाँ की ७० प्रतिशत आबादी युवा है . इतनी भारी-भरकम युवा आबादी के देश भारत में सबसे अधिक उत्पादक क्षमता मौजूद है . हमारे पास उत्पादन की क्षमता तो मौजूद है पर उसके लिए पर्याप्त अवसर नहीं हैं . जहाँ अवसर हैं भी सीमित हैं और कई जगह हमारे युवाओं में वह कुशलता नहीं है की अपनी जगह वह बना सकें . जहाँ ४१७ सफाई कर्मचारियों की आवश्यकता है, वहां ४२००० लोग आवेदन करतें हैं. जिनमें से कई तो परास्नातक डिग्री धारक हैं. जिस जगह ४०० जवानों की भर्ती है, वहां ३ लाख युवाओं का हुजूम उमड़ता है. उनको अपेक्षित रोजगार तो नहीं मिलता है, लेकिन कइओं को मौत की सौगात अवश्य मिल जाती है. जिस देश में रोजगार की स्थिति यह है, वहां के नीति-निर्माता घोटालों का ठेका लेने लगे हैं. अब इन घोटालों के ठेकेदारों और सरदारों के इस देश में युवाओं को दिशा क्या और कैसे मिले. क्या युवा भी भ्रष्ट और आचारहीन लोगों को अपना आदर्श मानकर आगे बढें. यदि ऐसी स्थिति हो गई तो, हमारे देश की स्थिति क्या होगी हम सोच भी नहीं सकते हैं. यदि हम अपने ढांचें में आमूल-चूल परिवर्तन करें. युवाओं को कुशल श्रमिक एवं अधिकारी बनाने के लिए बजट बढाएं और उन्हें उचित प्रशिक्षण दें. तभी यह संभव है की उन्हें उनका अपेक्षित रोजगार मिल सके. उनको प्रशिक्षित करना जितना आवश्यक है, उससे कहीं अधिक आवश्यक है रोजगार के अवसरों का सृजन करना. तब हम उनको सही अवसर दे पाएंगे और उनकी क्षमताओं होकर देश को नै गति मिल पायेगी. यहाँ युवाओं का कोई लक्ष्य नहीं है, लक्ष्य तो अवसर नहीं है, तो वे अपना योगदान कैसे दे पाएंगे. यदि इसी तरह चलता रहा तो हमारा यह युवा भारत एक दिन बुजुर्ग भारत हो जायेगा. और समय हमारे हाथ से मुट्ठी की तरह फिसल जायेगा. जब युवाओं को हम एक लक्ष्य देंगें तो देश की समस्त समस्याएं अपने आप समाप्त हो जायेंगी. इस युवा भारत का भविष्य युवाओं के ही हाथों में है और वे देश की दशा और दिशा को तय करेंगे. इसलिए यह आवश्यक है की हम उन्हें मनरेगा जैसी योजनायें नहीं बल्कि उचित अवसर देकर मुख्यधारा में लाने का प्रयास करें. जिससे वे स्वयं को और देश के विकास को गति दे सकें. यही भारत की असली तस्वीर और बढती विकास दर का आईना होगा.
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